योगिक क्रिया द्वारा अम्लपित्त का उपचार। Yoga therapy for gastritis

योगिक क्रिया द्वारा अम्लपित्त का उपचार
Yoga therapy for gastritis/ acid peptic disease.
लेखक -- निशांत झा (योग प्रशिक्षक)

गर्म तेज पदार्थ, चर्बी वाली वस्तुएं तथा अधपके मांस का सेवन करने, दांत खराब होने, भोजन के ठीक प्रकार से न पचने और खटाई तेल, मिर्च मसाले, मिठाई, चावल, मैदा, तली हुई वस्तुएं आदि अधिक मात्रा में खाने से अम्ल पित्त का रोग हो जाता है।

लक्षण: छाती में बेचैनी, जलन, खट्टी डकारें, उबकाई, अरुचि, सिर दर्द, पेट दर्द तथा कभी-कभी उल्टी आदि के लक्षण दिखाई देते हैं। मुंह का स्वाद बिगड़ जाता है, कई बार दस्त भी हो जाते हैं।

यौगिक उपचार

1. आसन: पवनमुक्तासन, वक्रासन, धनुरासन, हलासन, मण्डूकासन पश्चिमोत्तानासन आदि ।

2. प्राणायाम : चन्द्रभेदी, शीतली, सीत्कारी, नाड़ीशोधन

3. मुद्रा : अश्विनी, तड़ागी आदि

4.षटक्रियाएँ : शंखप्रक्षालन, कुंजल, जलवस्ति आदि ।

5. आहार : ठंडा दूध पिएं, मूंग की दाल की खिचड़ी, नारियल का पानी, आंवला आदि ग्रहण करें एवं चाय, कॉफी, खट्टी दही, शराब, उष्ण पदार्थ आदि का सेवन न करें। प्रातःकाल ठंडा शुद्ध जल पीकर वमन अर्थात उल्टी करें।

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