यौगिक क्रिया द्वारा उच्च रक्तचाप का उपचार।Yoga therapy for High blood pressure
यौगिक क्रिया द्वारा उच्च रक्तचाप का उपचार। Yoga therapy for High blood pressure
लेखक-- निशान्त झा ( योग प्रशिक्षक)
धमनियों के विरूद्ध रक्त का बढ़ा हुआ दबाव उच्च रक्तचाप के नाम से जाना जाता है। वर्तमान समय में यह समस्या सामान्य हो गई है। बढ़ा हुआ रक्तचाप कई खतरनाक रोगों का कारण हो सकता है। यह हर आयु के व्यक्ति में हो सकता है। जिन व्यक्तियों का जीवन तनावमय रहता है, उनको रक्तचाप रोग शीघ्रता से पकड़ लेता है। जो लोग क्रोध, भय, दुःख आदि संवेगों में डूबे रहते है। उनको रक्तचाप अतिशीघ्र हो जाता है। वसायुक्त पदार्थों का अति सेवन, शरीर में थकान, परिश्रम की कमी, धूमपान, शराब का सेवन आदि कारणों से भी उच्च रक्तचाप हो सकता है।
लक्षण : शुरू में सिर दर्द होता है, चक्कर आना, दिल की धड़कन तेज होना, सिर में भारीपन, आलस्य, काम में जी न लगना, उल्टी होना, जी घबराना, बैचेनी, पाचन सबंधी विकार, कब्ज, अजीर्ण, आंखों के सामने अंधेरा, नींद न आना आदि इस रोग के लक्षण हैं। जब रोग बढ़ जाता है तो नाक से खून निकलने लगता है। हृदय में दर्द होता है तथा हाथ-पैर सुन्न हो जाते हैं और कानों में घूं-धूं के शब्द होने लगते हैं। यदि हृदय की गति रुक जाती है तो व्यक्ति काल का ग्रास बन जाता है।
यौगिक चिकित्सा
1. आसन : पवनमुक्तासन, संचिसंचालन ( श्वास-प्रश्वास के तालमेल के साथ), वज्रासन, ताड़ासन, त्रिर्यक ताड़ासन, कटि चक्रासन, मकरासन, शवासन (15 मिनट) ।
2. प्राणयाम: अनुलोम-विलोम, शीतली, सीत्कारी, आमरी, नाडीशोधन, ऊँ उच्चारण ।
3. मुद्राबन्ध: तड़ांगी, शाम्भवी. उड्डियान बंध।
4. षटकर्म : कुंजल, नौलि, कपालभांति, जलनेति, सूत्रनेति, शंखप्रक्षालन ।
5. ध्यान : अजपा जप, ऊँ।
6.आहार : लहसुन, शाक-सब्जी, फल, सलाद व सुपाच्य भोजन व चिकनाई युक्त आहार, नमक का सेवन न करें प्रातःकाल एक-दो मील का भ्रमण।
7. योगनिद्रा का अभ्यास ।
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