जो करना है आज ही करो।
जो करना है आज ही करो। श्री रामकृष्ण आश्रम के स्वामी विज्ञानानन्द उच्च शिक्षित इंजीनियर थे और अध्ययन के बाद कुछ साल तक सरकारी पद पर भी रहे। स्वामी विवेकानन्द का उन पर बहुत विश्वास था। स्वामी विवेकानन्द अपने साथ स्वामी विज्ञानानन्द को भारत के प्राचीन स्थापत्य केन्द्रों पर भी ले जाते थे। विज्ञानानन्द पर विश्वास होने के कारण ही बेलूर में श्री रामकृष्ण मन्दिर का नक्शा भी विज्ञानानन्द ने ही बनाया था और उन्होंने जो नक्शा बनाया था, वह वैसा का वैसा मूर्त रूप में मन्दिर बनाया गया। जो कोई भी आता था, वह मंदिर के सौन्दर्य एवं स्थापत्य देखकर चकित रह जाता। स्वामी विवेकानन्द का कहना था कि यह मठ प्राच्य और पाश्चात्य सभी शिल्प कलाओं का मिश्रण है यानी यहाँ आध्यात्मिकता भी है, पाश्चात्य शैली भी है और हमारी प्राचीन विद्या भी इसकी दीवारों पर हजारों खिले हुए कमल उत्कीर्ण होंगे और प्रार्थना घर इतना बड़ा बनाना होगा कि उसमें एक हजार लोग एक साथ बैठकर जप, ध्यान कर सकें। श्री रामकृष्ण मन्दिर और प्रार्थना गृह इस प्रकार से बनाए जाएँ कि बहुत दूर से देखने पर ठीक ऊँकार की धारणा हो। द्वार के दोनों ओर ऐसे चित